दि. 13/3/2023
चिंतनीय विचार
1) दुनियाकी सबसे बड़ी समस्या ईश्वर, धर्म और जाति हैं। क्योंकि यह तीनो घटक इन्सानियतको नकार देते हैं।
2) दुनियामे सबसे बड़ी क्रांति विश्वरत्न डॉ. भीमरावजी आंबेडकर ने की है।
3) भारत का अलिखित इतिहास भारतीय मूलनिवासियोंका हैं।
4) आदिवासियोंकी, मूलनिवासियोंकी सिंधू संस्कृति आदिम धम्म संस्कृति थी।
इस आदिम धम्म संस्कृति की प्रमुख पाच विशेषताएं हैं।
अ) सत्य ब) प्रकृति क) नैतिकता ड) कल्याण और इ) शोषणमुक्तता।
5) संविधानकी धारा 244 के अनुसार संविधान की सुचि 5 और 6 के अंतर्गत आदिवासियोंका जल, जंगल और भूमिपर पुरा अधिकार और स्वयं शासन बताया गया हैं। धारा 275 के अनुसार स्वतंत्र स्पेशल बजेट की व्यवस्था की गई हैं। आदिवासियोंकी कोई भूमि रॉयल्टी दिये बगैर बेची या हडप नहीं की जा सकती। आदिवासियोंकी अधिकार भूमि के उपर और गर्भ मे जो मौल्यवान चीजें छुपी है, उनपर भी आदिवासियोंका पुरा हक्क है।
6) भारतमे आर्थिक गुलामीसे ज्यादा धार्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक, न्यायिक और बौद्धिक एवं मानसिक हैं।
7) ब्राह्मण संसार के किसी भी देशमे स्थलांतरित हुये तो भी वे उस देश के लिये बहुत बड़ी समस्या बनते हैं। क्योंकि ब्राह्मण परोपजीवी और अन्यायी हैं।
8) धम्म विचारधारा यह विषमतावादी और बंदूक, गोलियां चलानेवाली न होकर शांततावादी, सहजीवनवादी है।
9) भारतमे यदि लोकतंत्रको सफल बनाना है, प्रबुद्ध और बहुजनोंका भारत निर्माण करना है तो प्रथम संविधान संरक्षण और संविधान अधिकार आंदोलन, जाति तोड़ो आंदोलन, संसाधनोंमे भागीदारी आंदोलन, शासनकर्ती जमात बनो आंदोलन और हिंदू (ब्राह्मण) धर्म त्याग आंदोलन चलानेकी अनिवार्यता है। इसके साथही मेन, मनी और मेडीया पावर, संघटन शक्ति को बढ़ाना होगा। इव्हीएम मशीन को खत्म कर, चुनाव आयोग, न्यायालय और सेवा आयोगपर कब्जा कर जाति, धर्म, ईश्वरवादी और पूंजीवादियोंपर उचित बंधन लादे जाने चाहिए।
चमचायुग, दलाली युग, लोटायुग, पालतु कुत्ता युग, मनुयुगको खत्म करना होगा।
10) भारतमे मानवतावाद, समतावाद निर्माण करना है तो आंबेडकरवाद, धम्मवाद का स्वीकार करना अनिवार्य है। धर्म का स्वभाव कुत्ते और गधे जैसा है और धम्म का स्वभाव जन्मदाता तुल्य है। मानवतावाद वास्तव विश्वव्यापी होता है, जब कि अमानवियता एक विशेष शोषक समुह का होता है।
भारतमें समता स्थापन करने के लिये देश के सभी जनसमुहको सभी प्रकार की शिक्षा के अवसर समान रुपसे उपलब्ध करके देना होगा। पुंजीवादपर कुछ हद तक बंधन लादकर समाजवादकी ओर मोटे तौरपर कदम उठाने होगे।
देश के सभी साधनोंका राष्ट्रीयकरण करके बड़े प्रमाणोमें घरेलू उद्योगोंका निर्माण करना होगा।
देशसे जातिवादका अंत करने के लिये और लोकतंत्र के प्रचार प्रसार के लिये स्वतंत्र आयोग का निर्माण किया जाना चाहिए। विदेशी शिक्षा और सेवा के लिये पीछड़े समुहों के लिये विशेष सुविधाएं दी जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
देशमें मंदिर निर्माण कार्य बंद करके विश्वस्तर की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा, रोजगार व कृषि विकास योजनाओंपर सर्वाधिक धन खर्च किया जाना चाहिए।
देश की सीमा सुरक्षा, जवानोंकी परिवार सुरक्षा और देश के संविधान सुरक्षा और उसपर अमलकी ओर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ग के सेवाधारिओंके वेतनोमें विशेष ज्यादा फरक ना रखकर सर्वाधिक लोगोंको नोकरियां उपलब्ध करा कर देना चाहिए।
नारियों के सर्वांगीण विकास के लिये और अन्याय दूर करने के लिये विशेष कदम उठानेकी अनिवार्यता है।
कृषकों के उत्पादक चीजों के भाव उत्पादन लागत दर से देडगुणा से ज्यादा रखे जाने चाहिए और दलालोंसे उनकी रक्षा की जानी चाहिए।
जिस प्रकार नगर स्वयंपूर्ण और सुंदर बनाये जा रहे है, ठिक उसी प्रकार से नागरी भीड़ कम करने के लिये और देहात स्वयंपूर्ण बनाने के लिये देहातोंका विकास भीे पक्षपात न करते हुये अनिवार्य है। सुखियों के लिये नही, देश की तिजोरी दु:खियों के लिये खर्च करने की सोच रखना इसीमे देश की भलाई और इन्सानियतता है।
जय भारत - जय संविधान
प्रा. ग.ह. राठोड
अध्यक्ष- गोर बंजारा साहित्य संघ, भारत।