सभी बहुजनोंको राष्ट्र निर्माण के लिये विनम्र आवाहन

सभी बहुजनोंको राष्ट्र निर्माण के लिये विनम्र आवाहन

दि. 15-3-2022 सभी बहुजनोंको राष्ट्र निर्माण के लिये विनम्र आवाहन 1) बहुजन कौन है? :- भारत देशका हर एक नागरीक (नर-नारी) जो भारत देश का मुलनिवासी (प्रथम निवासी) है, यानी आर्य ब्राह्मण और उनके समकक्ष जो परोपजीवी लोग है ,जो शारीरिक श्रम नहीं करते और विलासी, भोगवादी, जीवन जीते है। जाति, धर्म, दैव, दैववाद, कर्मफल, वर्णव्यवस्था मानते है, इनको छोड़कर सभी बहुजन है। आर्य ब्राह्मण और उनके समर्थक बहुजनोंके भारतमे स्थिर होने के बाद 3-4 हजार साल के बादमे आकर यहां के निवासी बनने के कारण आर्य ब्राह्मण भारत के मुलनिवासी नहीं माने जाते। वे विदेशी और आक्रमणकारी और मुलनिवासी (बहुजनों, श्रमजीवियोंके) किसान, पशुपालक, मजुर, जवान और देश के निर्माताओंके शत्रु है। क्योंकि देश के निर्माण मे इन आर्य ब्राह्मणोंका, परोपजीवी अश्रमियोंका कोई योगदान नहीं है। देश के हर चीजोंका निर्माता, देश का संरक्षक, देश के लिये मेहनत करनेवाला, मरमिटनेवाला बहुजन वर्गही है। अभिजन (आर्य ब्राह्मण) बादमें भारतमें आकर मेहनतसे निर्मित भारतका शासक, मालक, बहुजनोंका शोषक, लुटारु, बन बैठा है। भारत देश के निर्माणमें, संरक्षणमें, महान बनानेमें बहुजनोंके भांति कष्ट करनेमें, मरनेमें, संघर्षमें इनका कोई योगदान नहीं है। झूट, कुट, लुट, फुट नीतिका, विश्‍वासघातका, विषकन्याओंका प्रयोग कर, फसाकर इन्होंने बहुजनोंको गुलाम और बंधक बनाकर रखा है। आज भी संविधान के अनुसार शासन व्यवस्था न चलाकर मनुस्मृति ग्रंथ के अनुसार शासन व्यवस्था चलाकर बहुजनोंपर असहनीय अन्याय, अत्याचार यह समुह कर रहा है। बहुजनोंकी शक्ति संविधान के कारण कुछ सीमातक बढ़ जाने के कारण और बहुजनोंमे एकता बढ़ी देखकर यह विदेशी परोपजीवी आर्य ब्राह्मण और उनके सभी समर्थक पिछले 20-25 सालसे सत्ता हाथसे जाने के डरसे घबरा गये है और संविधान को हटाने के कोशिशमें लगे है। साथही शासक बने रहने के लिये झुटी इव्हीएम मशिनका (विद्युत मतदान यंत्रका) जबरदस्तीसे प्रयोग करके, सत्तामें बैठे है। इस झूटी मशीनका प्रयोग करने के लिये वे साम, दाम, दंड, भेद नीतिका प्रयोग कर बहुजनोंको धमकिया दे रहे है और मनुस्मृतिका कानून लगाकर बहुजनोंको भविष्यमें अखंड गुलाम बनाये रखने के, उनका अस्तित्व मिटानेके, या विदेशियोंको बेच देने के प्रयासमें लगे है। अत: बहुजन यानी जो समुह अब तक आर्य ब्राह्मणोंके द्वारा जानबुझकर शिक्षा, सत्ता, संपत्ति, साधन और सुरक्षितासे दूर या वंचित रखा गया है। अछुत, अस्पृश्य, बहिष्कृत, शुद्र, वर्णबाह्य, कनिष्ठ, सेवक माना गया है। इन सभी वर्गोको, बहुजनोंको अभिजनोंके विरोधमे (ब्राह्मण, बनिया, राजपुत, ठाकूर, गुजराती, पारसी, हिंदुत्ववादी) इन सब के विरोधमें संघटित बननेकी अनिवार्यता है। बहुजन वर्गमें आजकी सभी अनुसूचित जातियां, जमातियां, आदिवासी, घुमंतू, अर्ध घुमंतू, विमुक्त, आलुतेदार, बलुतेदार, कुणबी मराठा, अल्पसंख्य, नवबौध, सिख, मुसलीम, इसाई, धर्मांतरीत बहुजन आदि सभी समुह आते है, यह सच्चाई सभीने समझ लेना अनिवार्य है। 2) शत्रु सामना बहुजनोंने कैसा करना चाहिए :- 1)सर्व प्रथम संविधानपर अमल करने के लिये मजबूर करना चाहिए। 2) संविधान कलम क्र. 340 के अनुसार वर्गनिहाय जनगणना कराना चाहिए। 3) लोकसंख्या के अनुपातमें सभी क्षेत्रोंमे भागीदारी मिलाना चाहिए। 4) लोकसंख्या के अनुपातमें देन संरक्षण के लिये हर घरका या संख्या के अनुपातमे सीमापर जवान भेजे जाने चाहिए। 5) उद्योगपतियोंको जैसी सुविधायके, छूट या पॅकेज दिये जाते है, वैसी सहुलते किसान, पशुपालको और ग्रामिण क्षेत्रोंमे दी जानी चाहीए। 6) देशकी सभी साधन संपत्तीका नीजीकरण न करते, राष्ट्रीयकरण करके सामाजिक, विषमता दूर करने के प्रयास किये जाने चाहिए। 7) भविष्यमे किसी नये मंदिरोका निर्माण न कर सभी प्रकारके शिक्षालय, दवाखाने, ग्रंथालय (ग्रामिण स्तरतक) पशु स्वास्थ्यालय, बेघरवालो, भूमिहिनोंको घर, भूमि, ग्रामिण क्षेत्रोंमे छात्र-छात्राओंके लिये छात्रालय, किसानोंके लिये किसान भवण, गोडाऊन, बाजारपेठ आदिका निर्माण और अनाज, सब्जी, दूधको लागतके अनुपातमे भाव व्यवस्था होनी चाहिए। 8) सभी प्रकारकी शिक्षा (उच्च, व्यावसायिक तकनिक) सभी के लिये मुफ्त होनी चाहिए। 9) बँक व्यवहारोंमे सुधार करना चाहिए। 10) सभी प्रकारकी सुविधाये जातीय संख्या के आधारपर होना चाहिए। उदाहरण के तौरपर, नौकरी, लोकप्रतिनिधित्व, उद्योग, व्यापार, एजन्सी, न्यायालय, नियोजन आयोग, चुनाव आयोग, प्रचार माध्यम, क्रिडा, चित्रपट, संगीत, विदेशी व्यवहार, सभीमें समता, न्यायकी नीतिका अवलंबन किया जाना चाहिए। 11) महापुरुष, स्वातंत्र्य सेनानी, गुणवानोंको, भेदभाव ना बताते न्याय और सम्मान दिया जाना चाहिए। किसी विरोध समुहपर या विरोधियोंपर सुडभावनासे कोई कार्यवाही ना की जानी चाहिए। किसानो और जवानोेंका सम्मान और उचित मुआवजा या मानधन दिया जाना चाहिए। 12) देशका कोई भी चुनाव इव्हीएम मशीनसे या इव्हीएम मशीन जैसे किसी साधनोंसे न करते हुये केवल बॅलेट पेपर के द्वाराही किये जाने चाहिए। आज हम देख रहे हैं की, देशमें जाति, धर्मके, तीर्थक्षेत्रोंके नामसे अन्याय, अत्याचार बढ़ते जा रहे है। केवल प्रस्थापित वर्गही सभी क्षेत्रोंमे सशक्त और बलवान बनते जा रहा है और यह वर्ग अप्रस्थापित वर्गका शोषण करनेमें विकृत आनंद ले रहा है। महंगाई, निरक्षरता, बेकारी, बेरोजगारी, बिमारी, कर्जदारी, बेघरी बढ़कर समाज व देशमें अशांतता बढ़कर विदेशी आक्रमणकारी इसका लाभ उभाना चाह रहे है। देश के स्वातंत्र्य सेनानी, देश के, त्यागी महापुरुषोंने जिस उद्देशसे देशको स्वतंत्रता मिलाकर देनेमें अपना पुराा जीवन अर्पित किया था, उनका सपना अभी अधुराही नहीं बहुत दूर है। अत: उपर वर्णीत सभी बहुजनोंको संघटित बनकर उनका सपना पुरा करने के लिये करो या मरोका संघर्ष करनेका समय और अनिवार्यता आ गई है। हिंदू (ब्राह्मण) राष्ट्र नही, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष या बहुजन राष्ट्रनिर्माण करनेका परम कर्तव्य बहुजनोंकाही है। अत: अब शत्रुका सामना करने के लिये बहुजनोंने कमर मजबूत बनाकर तन, मन, धन से बहुजन मुक्तीके व बहुजन राष्ट्र निर्मितीमें लग जानेमे विलंब नहीं करना चाहिए। 3) कुछ महत्त्वपूर्ण बाते :- आज का प्रस्थापित वर्ग यह लगभग पूर्णत: विदेशी है और यह वर्ग भारतमे इसापूर्व 2700 में आया है, ऐसा बहुसंख्य विद्वानों और इतिहासकारोंका मानना है। भारत का मुलनिवासी (बहुजन समुह) यह भारतका इसापूर्व 8000-7000 वर्षपूर्वका निवासी है। इसापूर्व 2700 से इसापूर्व 1750 तक मुलनिवासी और विदेशी आर्योमें शीत युद्ध चलते रहा और इसापूर्व 1750 के लगभग विदेशी आर्योने छल कपट, विश्‍वासघात और धोकेंसे बहुजनोंपर विजय पाई। प्रथम संघर्षमें मुलनिवासियोंने (बहुजनोंने) संघर्षमें विदेशी आर्योको हराया था और उन्हें बंधक बनाकर शरणार्थीके रुपमें सेवक बना रखा था। यह विदेशी आर्य अश्रमी, परोपजीवी थे। अत: उन्हें बहुजनोंने वेद पढ़ पढ़ाकर भिक्षा और दान-दक्षिणा लेकर भारतमें रहनेका अधिकार दिया गया था। अन्य कोई अधिकार उन्हें नहीं दिया गया था। किंतु बाद के समयमें उन्होंने कपट कारस्थानसे उनकी गोरी, सुंदर कन्याओंका प्रयोग शस्त्र के रुपमे कर राजा महाराजाओंको कन्याओंके जालमें फसाकर विश्‍वास संपादन कर और बादमें विश्‍वासघात करके सत्ता प्राप्तकर बहुजनोंको गुलाम बनाया। यह गुलामी आजतक बनी हुई है। मुलनिवासीके शरणार्थी, भिक्षुक, बनने के बाद आर्योने उनकी, सुंदर, गोरी कन्याये राजा-महाराजा, राजपुत्रोंको अनेक संख्यामे देना शुरु किया। राजा-महाराजा, राजपुत्र, अनेको सुंदर, गोरी कन्याओंके साथमे भोग, विलासमें डूबे रहे। प्रशासनकी ओर बेपर्वाह रहे। इतना ही नहीं तो शरणार्थी, भिक्षुकोकों बादमे उन्होंने सत्तामे हिस्सा दे दिया। इस सुअवसरका फायदा लेकर उन्होंने एकेक राजा-राजपुत्रोंको मृत्यु के घाट उतार दिया और धीरे धीरे यहांके शासक बन बैठे है। यह विदेशी आर्य ब्राह्मण समुह मेहनतकस नहीं है। साथही पुरुषार्थहीन है। मतलब परोपजीवी, शोषक, लुटारु, बेईमान, लालची, भ्रष्टाचारी, कटकारस्थानी, कुटील, विश्‍वासघाती है। इसके विपरित बहुजन समुह यह परिश्रमी, उपकारी, दयालु किंतु भोला और असंघटित रहनेके कारण आर्य ब्राह्मणोंने इस दुर्गुणोंका फायदा लेकर बहुजनोंको गुलाम बना रखा है। आज हजारो सालोके बाद बहुजन संघटित बनकर शिक्षा, सत्ता, संपत्ति साधनोंपर तयारी करते देखकर आर्य ब्राह्मण और उनके समर्थक बहुतही घबरा चुके है और उनकी सत्ताकी खुर्ची खाली ना हो, उनका धर्म और देवी, देवता, मंदिर, क्षेत्रोंका, दान-दक्षिणाका, बहुजनोंको, लुटनेका मार्ग ना हो, इस हेतुसे, संविधान हटानेकी, आरक्षण, प्रतिनिधित्व हटानेकी, नीजीकरण करनेकी कोशिशमें लगे है। इस हेतु को प्राप्त करने के लिये उन्होंने सब प्रमुख स्थानोंपर उनके प्रमुख बिठाकर झुटी इव्हीएम मशीनद्वारा सत्ताकी खुर्ची अखंड उनके पास रहे, इस एकमात्र उद्देशसे चुनाव बॅलेट पेपरसे न लेकर मशीनसे लेनेका पक्का निर्णय ले रखा है। इस इव्हीएम मशीन के कारण सभी बहुजनोंका अस्तित्वही छोकेमे आ गया है। अत: बहुजनोंका अस्तित्व बनाये रखना है, या नष्ट होने इदेना है, इस गंभीर समस्यापर विचार, चिंतन मंथन करके हमें शत्रुका सामना करनेकी पुरी-पुरी तैयारी करनेकी अनिवार्यता आज है। जय मंडल - जय संविधान - जय बहुजन प्रा. ग. ह. राठोड

G H Rathod

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