तारिख- 18/1/2023
विश्व बंजारा रोमा सम्मेलन की संक्षिप्त जानकारी
सन 1967 मे कालवश आदरणीय रामसिंहजी भानावतने प्रेसमे एक खबर पढ़ी। यह खबर रोमा बंजारा सम्मलेन के सिलसिलेमे थी। इस खबरके बारेमे भानावतजीने शीघ्र आदरणीय वसंतरावजी नायक को जानकारी दी। नायक साहेबने भानावतजीको विस्तृत जानकारी लेनेको कहनेपर भानावतजी शीघ्र दिल्ली के प्रेस संवाददाता मा. आनंद जैनसे मिले। जैनने भानावतजीको इस बारेमे चंदिगड़के मा. वीर राजेंद्र ॠषिको इस बारेमें अधिक जानकारी लेनेके लिये भेजा। क्योंकि मा. वीर राजेंद्र ॠषि यह रोमा भारती संघटन या संस्थासे सलग्न थे। भानावतजीने चंदिगड़ जाकर अनेक बार मिलकर बहुत सारी मालुमात ली। इसके पश्चात वीर राजेंद्र ॠषिने भानावतजीको 1971 में लंदनमे होनेवाले रोमा सम्मेलनमें बुलाया। इस सम्मेलनमें लंदनसे मा. पिटर मेडसर सचिव, युरोप रोमा परिषदके द्वारा निमंत्रण पत्र मिला था। किंतु किसी सामाजिक कार्यभारके कारण मा. भानावतजी इस सम्मेलनमें सम्मिलित नहीं हो सके।
इसके बाद राजेंद्र ॠषिजीने भानावतजीको चंदिगड़मे होनेवाले 1976 के विश्व रोमानो उत्सव इस कार्यक्रमको निमंत्रण दिया था। इस उत्सव में मा. भानावतजी और मा. रणजित नायक ये दोनो उपस्थित हुये थे। इस उत्सवमें कुल तेरह देश शामील हुये थे। इस समारोहमे स्वीडन की गायिका कुमारी मिरांडा, युगास्लावियाकी गायिका और नर्तकी श्रीमती रेश्मा, रुसकी गायिका एवं नर्तकी कुमारी राया, युगास्लावियाके प्रो.प्रा. सय्यद युसुफ आदीने हिस्सा लिया था, ऐसा दोनो प्रतिनिधियोंका कहना है।
इसके बाद द्वितीय विश्व रोमानो कांग्रेस सम्मेलन जिनेवामें ता. 6 से 11 अप्रेल तक हुआ था। इस सम्मेलनमे 27 देशोंके प्रतिनिधियोंने भाग लिया था। इस सम्मेलनके पश्चात रणजीत नायक और भानावतजीने मिलकर इंग्लंड, फ्रान्स, स्पेन, स्वीत्झरलँड आदी आठ देशोंका दौरा कर रोमा बंजारोंकी जानकारी जुटाई थी। तृतीय सम्मेलन 10 से 20 मई तक 1981 मे जर्मनीमे हुआ था। इस सम्मेलनमें भानावतजी और रणजीत नायक के साथ औरंगाबादसे प्राचार्य राजाराम राठोड, दिल्लीसे चंदगीराम सबाना और हरियानासे गुड़गावके गजराजसिंहजी हजर थे। विश्वमे 1981 तक रोमा बंजारोंकी संख्या दे़ड़ करोड़ मानी गयी थी। इस सम्मेलनको आज 40 साल बित चुके है। इन सम्मेलनोंमे उपस्थित रहनेवालोमेंसे रणजीत नायक और भानावतजी इस दुनियामें नहीं है। औरंगाबादके प्रा. राजारामजी आज भी है। अन्योंके बारेमे मुझे कोई जानकारी नहीं है। इस सम्मेलनके प्रतिनिधियोंने कौनसी जानकारी प्राप्त की थी और यह जानकारी किसके पास है, यह भी मुझे ज्ञात नहीं हैं। 1981 के बाद सम्मेलन कहा हुये या नहीं हुये, इसकी भी जानकारी नहीं है।
कुछ सालपूर्व कर्नाटक के सन्माननीय महानुभव आदरणीय रामा डी नायक विदेश दौरा कर जिप्सीके संबंधमे उन्होंने काफी जानकारी संकलीत की है। उनसे और राजारामजी राठोड प्राचार्य औरंगाबादसे संपर्क करनेपर रोमा जिप्सी बंजारोंके बारेमे कुछ अधिक जानकारी मिल सकती है। जिज्ञासुओंसे अपेक्षा है, कि वे इस दिशामें अपने कदम बढ़ाये।
जय भारत - जय जगत - जय संविधान
प्रा. ग. ह. राठोड