विभिन्न नेता और उद्योगपतियोंका शैक्षणिक योग्यता

विभिन्न नेता और उद्योगपतियोंका शैक्षणिक योग्यता

1) मोहनदास करमचंद गांधी - मॅट्रिक को चार बार नापास 2) मारोतरा कन्नमराव पाटील - अंगुठा बहादूर 3) इंदिरा गांधी - ऑक्सफोर्ड विद्यापीठकी प्रवेश परिक्षा को 3 तीनबार नापास 4) केशुभाई पटेल - गुजरात मु.मं - 4 थी नापास 5) वसंतदादा पाटील - मु.मं. म.रा - 4 थी नापास 6) शरद पवार - पुराणी 11 वी पास / केवल 35% गुण 7) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम - नापास 8) सुशील कुमार शिंदे - नापास 9) जे. आर. डी. टाटा - चार बार नापास 10) बिल गेट्स - विश्‍वपुंजीपती, बीचमेंही कॉलेज छोडा। 11) धीरुभाई अंबानी, बिली, आइनस्टाइन, एडीसन, न्युटन - सबके सब नापास। 1) अंधकार है वहॉ, जहापर कोई न्याय नहीं। अंधा है वह समाज, जिसका अपना कोई नेता नहीं। 2) गो हमारी माता है, अटल बिहारी विदेश जाकर खाता है। 3) कांग्रेस का हाथ, पूंजीपतियोंके साथ। बहुजनोंके पीछवाडेपर लाथ। 4) कांग्रेस का नेता कैसा हो, प्रणव मुखर्जी जैसा गद्दार हो। 5) बाबासाहब करे पुकार, बुध्द धम्मका करो स्वीकार। 6) आकाश पाताल एक करो, बुध्द धम्मका स्वीकार करो। 7) तुझ्या हाती तुप आलं, त्याच्या हाती साय। पण या समाजाचं काय, बाबा समाजांच कार्य. (वामनदादा कर्डक) 1932 के पुना करारके दुष्परिणाम 1) विधायकोंके बोलनेपर पाबंदी। 2) दलाल एवं भड़वोंका निर्माण। 3) मताधिकारका अधिकार प्रभावशून्य। (हाथमें तलवार लड़ने के लिए देना, किन्तु लडने ना देना) 4) छुवाछूत आज भी मौजूद। 5) आजादी गुलामीमें परिवर्तित 6) मुलनिवासी महापुरुषोंद्वारा निर्माण किया हुआ स्वाभिमानी आंदोलन समाप्त। भारतीय प्रस्थापितोंद्वारा अंग्रेज शासकोंके विरोधमें किये गये सत्ता हस्तांतरण आंदोलनके कारण - 1) भारतमें अंग्रेजोंकी जड़े मजबूत होते ही उन्होंने ब्राह्मणोंका (बीपीसी अ‍ॅक्ट) मनुस्मृतीका कानून नष्ट करके उसके स्थानपर आयपीसी कानून लागू कर दिया। 2) सन 1817 में अंग्रेजोंने आयपीसी कानूनके अनुसार नंदकुमार देव नामक ब्राह्मणको किये अपराध के दंडमें फांसीकी शिक्षा दी। 3) सन 1813 में भारतीय पीछड़े समाजके लिये उन्होंने भारतमें कई प्राथमिक और माध्यमिक पाठशालायें खोली। 4) सन 1854 में अंग्रेजोंने मुंबई, मद्रास, चेन्नई और बंगलोरमें विश्‍व विद्यापीठ की स्थापना की। 5) सन 1858 में शिक्षण संस्थाओंमें बहुजनोंके बच्चों को प्रवेश न देनेवाली शिक्षा संस्थाओंका अनुदानही बंद कर दिया। 6) अंग्रेजोंने उनके शासन-प्रशासनके समय में अनेंको बहुजनोंको नौकरी दी। 7) सन में भारतीय विधिमंडलका गठण किया। 8) सन 1919 में पहिला भारतीय अधिनियम अंग्रेजोंद्वारा बनाया गया। 9) सन 17 अगस्त 1932 को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की चार मांगोंको मंजूरी दे दी। 10)भारतीय (भारतकी) सती प्रथा, छुवाछूत, विधवा और विधूर विवाह, बालविवाह, बंधूवा मजूर प्रथा आदीके सुधारके कानून बनाये. 11) मुस्लिम, सिख, इसाई आदीको प्रथक निर्वाचन क्षेत्र प्रदान किये। 12) सभी भारतीयोंके लिये समान कानून और दंड व्यवस्था, न्याय व्यवस्था बनाई। 13) ब्राह्मणोंके सभी विशेष अधिकार नष्ट कर डाले। 14) सवर्ण हिंदू, मुस्लिम और पीछडोंको तीन हिस्सोमें सत्ता हस्तांतरित करनेका निर्णय लिया। 15) अछूतोंके साथ अछूत जैसा व्यवहार नहीं किया। 16) पीछड़े वर्गको (एस.सी., एस.टी.) को आरक्षण दिया। बहुजन वर्गके आरक्षण को विरोध करनेवाले नेता और उनके आरक्षण विरोधी विचार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरके संघर्ष और मांगों के अनुसार अंग्रेज सरकारने भारतको सत्ता हस्तांतर करनेके पूर्वही सन 1932 में अनुसूचित जाति जमातिको आरक्षण दे दिया था। साथही अलग चार मांगे भी मंजूर कर दी थी। अनुसूचित जाति जमातिका आरक्षण तो संवैधानिक रहने के कारण उसका विरोध करना संभव नहीं हुआ। किन्तु चार मांगोका विरोध कांग्रेसी और अन्य नेताओंने जमकर किया। विरोध करनेवाले नेताओंमें प्रमुख रुपसे मोहनदास गांधी, बाल गंगाधर तिलक, पंडीत जवाहरलाल नेहरु, डॉ. राजेंद्रप्रसाद और सरदार वल्लभभाई पटेल, अटल बिहारी वाजपेयी, संघ प्रमुख के.सी. सुदर्शन थे। 1) सायमन कमिशनपर भारतीय प्रतिनिधि नहीं लिया गया। इस वजहसे मैं इस कमिशनका विरोध कर रहा हुं। 2) अगर अंग्रेज भारतको आजादी देते है, और उस आजादीमें अछूतोंको अधिकार देते हैं, तो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए। 3) यह लोग हरिजन कहनेसे ही खुश हो जाते है, तो उनके लिये कुछ करनेकी क्या जरुरत है। 4) अनुसूचित जाति जनजातिओंको दिया जानेवाला हिस्सा रद्द करते है, तो ही मैं पाकिस्तानको मान्यता दुंगा। 5) यदि मैं पाकिस्तानका समर्थन करु, तो मुझे क्या मिलेगा। 6) मैं-मैं और केवल मैं ही अछूतोंका सच्चा प्रतिनिधि हुं। 7) अगर मुसलमान डॉ. आंबेडकरकी मांगोंका विरोध नहीं करते, तो मैं चुप रहुंगा। 8) मैं आपकी सारी मांगे मंजूर करने के लिये तयार हुं; मगर मेरी एक शर्त है, अगर आप डॉ. आंबेडकरका विरोध करे, तो मैं आपकी सभी मांगोका समर्थन करने के लिये तयार हुं। 9) यह मेरी बकरीको खिलावो, और दूध तो मैं लेता ही नहीं। 10) अगर आप पुना पॅक्टपर हस्ताक्षर नहीं करते है, तो आपके लोग मारे जायेंगे। (कानपूर, वाराणसी, पाटना) में आगजलीकी कुछ घटनायें हुई भी) (गांधी समर्थक) 11) सरदार, 1909 को मुसलमानोंकी पृथक निर्वाचन क्षेत्र मिला हैं। 1932 के पहले सिखोंकी भी पृथक निर्वाचन क्षेत्र मिला हैं। अगर अछूतोंको भी प्रथक निर्वाचन क्षेत्र मिलता है, तो अछूत और मुसलमान गुंडे मिलकर सवर्ण हिंदुओंकी हत्या कर सकते है। 12) मेरे दोस्तो, बुरा मत सोचो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो। 13) करेंगे या मरेंगे। (मो. गांधी) 14) भारत छोडो ( 9 अगस्त 1942) 2) पंडित जवाहरलाल नेहरु- 1) आरक्षण के कारण प्रशासनकी कार्यक्षमता कम होगी और राष्ट्र दुय्यम स्तरका बनेगा। 2) क्या ब्राह्मणोंको भीक मांगनेको लगाना है। 3) अनपढ लोगोंको वोटका अधिकार मिलनेसे लोकतंत्रके लिये खतरा पैदा हो जायेगा। 3) डॉ. राजेंद्रप्रसाद - 1) हम आजादी की लडाई क्या रेवडियां बाटने के लिये लडे है? 2)छशर्हीी, ळीं’ी र्ूेीी वशरींह ुरीीरपीं’ नेहरुजी, यह आपका मृत्यूघंटा है। (मृत्यूपत्र) 4) बाल गंगाधर तिलक - 1) स्वराज्य यह मेरा जन्मसिध्द अधिकार है। 2) तेली, तंबोली, कुणभट्टोकों संसद और विधिमंडलमें जाकर क्या हल चलाना है? 3) क्या अब पेशवाई आनेवाली है? 5) सरदार वल्लभभाई पटेल - 1) मैंने केवल दरवाजेही नहीं तो खिडकीया भी बंद कर डाली है। 2) आप यह ओबीसी कहाँसे लाये भाई? 6) के.सी. सुदर्शन - भारतीय संविधान यह कचरापेटीमं फेकने लायक है।

G H Rathod

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