कुछ महत्वपूर्ण संदर्भ

कुछ महत्वपूर्ण संदर्भ

1) स्वराज्य यह मेरा जन्मसिध्द अधिकार है, और मैं उसे लेकरही रहुंगा। (बाल गंगाधर तिलक) 2) तेली, तंबोली, कुणभटोंको संसद और विधिमंडलमें जाकर क्या हल चलाना है। (बाल गंगाधर तिलक) 3) क्या अब पेशवाई आनेवाली है? (बाल गंगाधर तिलक) 4) मंदिर वही बनायेंगे, मगर तारिख नहीं बतायेंगे। (भाजप-शिवसेना की घोषणा) 5) गर्व से कहो हम हिंदु है। हिंदु, हिंदुत्व और हिंदुराष्ट्र यही हमारा राष्ट्रीयत्व एवं धर्म है। (भाजप-शिवसेना की घोषणा) 6) धारा 370 रद्द करो, रामसेतुको बाधा मत पहुचावो, समान नागरी कानून बनाके, घुसखोरोंको बाहर हाकालो, बांगला देशकी सीमापर तार कुंपन लगावो, नदी प्रकल्प जोडो, काला धन भारतमें लावो। (भाजपकी मांग) 7) हम आरक्षण मांगनेवाले नहीं। (ब्राह्मण सभा का एक प्रस्ताव) 8) हम इस देशमें वैदिक धर्मकी पुनरस्थापना करना चाहते है। (ब्राह्मण सभामें सत्कार समयपर व्यक्त किये गये सतिशचंद्र मिश्राके विचार) 9) हम दुबारा चातुर्वण्य व्यवस्था निर्माण करना चाहते है। (8 सितम्बर 2008 को दिया हुआ रामदेवबाबा का प्रवचन) 10) इस देशमें कांग्रेसको विकल्प नहीं है। (बालासाहेब देवरस) 11) जिस प्रदेश का राजा शुद्र होता है, उस प्रदेशमें ब्राह्मणोंने नहीं रहना चाहिए। (मनुस्मृति) 12) ब्राह्मणोंने देशांतर करना चाहिए। (मनुस्मृति) ब्राह्मणोंने कृषिकाम करना महापाप है। (मनुस्मृति) 13) करदाता और शिक्षित लोगोंकोंही मतदानका अधिकार दिया जाय। (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) 14) सायमन कमिशनपर भारतीय प्रतिनिधि नहीं लिया गया। इस वजहसे मैं इस कमिशनका विरोध कर रहा हुं। (मोहनदास गांधी)ेेेेेेे 15) मैं-मैंख और केवल मैं ही अछूतोंका सच्चा प्रतिनिधि हुं। (मोहनदास गांधी) 16) अगर अंग्रेज भारतको आजादी देते हैं, और उस आजादीमें अछूतोंको अधिकार देते हैं, तो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए। (मो. गांधी) 17) सरदार, 1909 को मुसलमानोंको प्रथक निर्वाचन क्षेत्र मिला है। 1932 के पहले सिखोंकों भी प्रथक निर्वाचन क्षेत्र मिला है। अगर अछूतोंको भी प्रथक निर्वाचन अधिकार मिलता है, तो अछूत और मुसलमान गुंडे मिलकर सवर्ण हिंदुओंकी हत्या कर सकते है। (मोहनदास गांधी) 18) यह लोग हरिजन कहनेसेही खुश हो जाते हैं, तो उनके लिये कुछ करनेकी क्या जरुरत है। (मो.गांधी) 19) यह मेरी बकरीको खिलावो, और दूध तो मैं लेताही नहीं (मो. गांधी) 20) यदि मैं पाकिस्तानका समर्थन करु, तो मुझे क्या मिलेगा। (मो.गांधी) 21) अनुसूचित जाति जनजातिको दिया जानेवाला हिस्सा रद्द करते हैं, तोही मैं पाकिस्तानको मान्यता दुंगा।(म.गांधी) 22) जिन लोगोंके हाथमे आप सत्ता सौंप रहे हैं, वे लुटारु और बदमाश है। (ब्रिटिशका माजी प्रधानमंत्री, चर्चिल, कान्झरवेटीव पक्ष-चर्चिल, मजूर पक्ष-क्लेमेंट एटली 23) भारतकी प्रजाको विश्‍वका ज्ञान होना चाहिए। (अंग्रेज शासक) 24) आरक्षण के कारण प्रशासनकी कार्यक्षमता कम होगी, और राष्ट्र दुय्यम बनेगा। (नेहरु+कांग्रेस) 25) हम आजादीके लडाई क्या रेवडिया बाटनेके लिये लडे। ’’छशर्हीी, ळीं’ी र्ूेीी वशरींह ुरीीरपीं’’ ( डॉ. राजेंद्रप्रसाद, प्रथम राष्ट्रपती) 26) अब यह कालेलकर कमीशन पुराना हो गया है, अब हम ऐसा करेंगे, एक नया कमीशन बिठायेंगे। (मोरारजी देसाई) 27) किसी भी पक्षमें मै गया, तो मुझे जुतोंसे मारो। (शरद जोशी) 28) क्या ब्राह्मणोंको भीक मांगनेको लगाना है। (पं.नेहरु) 29) हमारा संघर्ष सत्ता और संपत्तीके लिये नही, बल्कि स्वाभिमान और स्वाधिनताके लिये हैं। (डॉ. आंबेडकर) 30) अगर आपको प्रतिनिधित्व का अधिकार है, तोही आपको सत्तामें हिस्सेदारी मिलेगी। यदि आपको प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं है, तो आपको सत्तामें हिस्सेदारी नहीं मिलेगी। यदि आपको सत्तामें हिस्सेदारी नहीं है, तो आपका सत्यानाश होना निश्‍चित है। (डॉ. आंबेडकर) 31) जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम अपना भविष्य निर्माण नहीं कर सकती। (डॉ. आंबेडकर) 32) जिनको लोगसंख्याके अनुपातमें पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं, उन्हेंही आरक्षण दिया जाना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 33) कार्यक्षम सरकारसे भी प्रतिनिधिक सरकार सबसे अच्छा होता है। (डॉ. आंबेडकर) 34) आरक्षण यह प्रतिनिधित्वका मसला है। साथही शासनकर्ती जमात, देशका राजा, मालक बननेका मुद्दा है। आरक्षण यह शासन-प्रशासनमें हिस्सेदारीका मामला है। (डॉ. आंबेडकर) 35) एस.सी., एस.टी. और ओबीसी लोग इकठ्ठा आ जाते है, तो इस उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री, गोविंद वल्लभ पंत, तुम्हारे जुतों की लेस खोलेगा और बांधेगा। साथही उसमें गर्व और गौरव महसूस करेगा। (डॉ. आंबेडकर) 36) जो लोग इतिहास से सबक नहीं सिखते, उन्हें इतिहास सबक सिखाता है। (डॉ. आंबेडकर) 37) क्रांति हमेशा अल्पजनही करते हैं। मगर इसके लिये उन्हें बहुसंख्य बनना पडता है। (डॉ. आंबेडकर) 38) ब्राह्मणवाद गैर बराबरीकी विचारधारा है। साथही क्रमिक असमानताकी विचारधारा है। यह गैरबराबरीकी और क्रमिक असमानताकी धाराही (भावनाही) ब्राह्मणवाद, हिंदुवाद, मनुवाद, श्रेष्ठतावाद है। (डॉ. आंबेडकर) 39) बिकाऊ समाजको मैं खरीदनेवाला समाज बनाना चाहता हुं। (मा. कांशीराम) 40) ये ब्राह्मणों, अब तुम लोग शुद्रोंको जागृत करनेका काम करो। यदि आप यह काम नहीं करते हैं, तो जब शुद्र लोग आपने आप जागृत हो जायेंगे। उन्हें तब पता लगेगा कि, आप लोग उन्हे पाच हजार सालसे मूर्ख बना रहे हैं, तब वे तुम्हें फुक मारकर उडा देंगे। (स्वामी विवेकानंद) गुलामाला गुलामीची जाणीव करुन द्या म्हणजे तो पेटून उठेल. (डॉ. आंबेडकर) 41) बडी मुश्किलसे मैं यह कांरवा यहां तक ले आया हुं। मेरे अनुयायियोंका यह परम कर्तव्य है, कि, वे इसे अगर आगे नहीं बढा सके तो कमसे कम किसी भी स्थितिमें इसे पीछे न हटने दे। (डॉ. आंबेडकर) 42) मुझे पढे लिखे लोगोंने धोका दिया है। क्योंकी यह वर्ग आज आंदोलनका नेतृत्व करनेके बजाय, केवल मात्र अपना पेट भरनेमे मशगुल है। (डॉ. आंबेडकर) 43) मेरे नामका जयजयकार करने के बजाय मेरे अधूरे कामोंको एवं स्वप्नोंको पुरा करने के लिए जानकी बाजी लगा देना। (डॉ. आंबेडकर) 44) जिस समाजमें 90 डॉक्टर, 20 इंजिनिअर और 30 वकील है, उस समाजकी और कोइ दुश्मन आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। (डॉ. आंबेडकर) 45) जाओ और अपने घरकी दिवारपर लिखकर रखो की हमे शासनकर्ती जमात बनना है। (डॉ. आंबेडकर) 46) जिस समाजमें मैं जनम पाया हुं, उसका उध्दार न कर पाया तो, मै खुदको गोली मार लुुंगा। (डॉ. आंबेडकर) 47) मैं सर्वप्रथम भारतीय हुं और बादमें भी आखिर तक भारतीय ही हुं। (डॉ. आंबेडकर) 48) हमारी सभी प्रकारकी समस्याओंपर उच्च पढाई ही एकमात्र इलाज है। (डॉ. आंबेडकर) 49) पढो, संघटित बनों और अपने अधिकारोंके लिए संघर्ष करो। (डॉ. आंबेडकर) 50) मेरे पश्‍चात अपने समाजकी एकता बनाये रखो। (डॉ. आंबेडकर) 51)मनुष्य धर्मके लिये नहीं, बल्कि धर्म मनुष्य के लिये पैदा हुआ है। (डॉ. आंबेडकर) 52) अपने आंदोलनके लिये बुध्दिवादी कार्यकर्ताओंके साथही साथ आंदोलनपर निष्ठा रखनेवाले कार्यकर्ताओंकी बहुत जरुरत है। (डॉ. आंबेडकर) 53) राजनीती एक ऐसा माध्यम है, जिसके माध्यमसे समाज की सेवा की जा सकती है। समाजको जागृत किया जा सकता है और देश तथा समाजकी समस्याओंके समाधान निकाले जा सकते हैं। (डॉ. आंबेडकर) 54) इन्सानियत प्राप्त करना है, तो धर्मांतर अनिवार्य है। (डॉ. आंबेडकर) 55) हिंदु परिवारमें मैं जनम पाया हुं, तो भी हिंदु रहकर मैं मरना नहीं चाहता हुं. (डॉ. आंबेडकर) 56) बहुजनोंको शस्त्र धारण का अधिकार होता तो भारत देश कभी भी विदेशियोंका गुलाम ना बनता। (डॉ. आंबेडकर) 57) अन्य धर्ममें सामिल हुये बगैर बहुजनोंकी ताकद बढना असंभव है। (डॉ. आंबेडकर) 58) जिस धर्ममें इन्सानियत नहीं, वह धर्म हमारा नहीं। (डॉ. आंबेडकर) 59) जिस धर्ममें इन्सानियत का व्यवहार नहीं, उसे धर्म क्यों और कैसा कहा जाय। (डॉ. आंबेडकर) 60) महाभयंकर संघर्ष करनेके पश्‍चातही इन्सानियत वापस मिलनेकी संभावना है। (डॉ. आंबेडकर) 61) छुवाछूत यह विश्‍वकी सबसे महाभयंकर गुलामी है। (डॉ. आंबेडकर) 62) सच्चा स्वराज्य वही है, जिसमें स्वातंत्र्य, इन्सानियत और समान अधिकार मिलते है। (डॉ. आंबेडकर) 63) जनताका मतलब सार्वजनिक धनका अपहार करने जैसा नीच कर्म और दुसरा कोई नहीं है। (डॉ. आंबेडकर) 64) ज्ञान (पढाई, शिक्षण) यह शेरणीका दुध है, और यह दूध पीनेवाला हर कोई इन्सान गुरगुराने बगैर नहीं रह सकता। (डॉ. आंबेडकर) 65) सामाजिक एवं राजकिय आदी महत्व के पद पढाईके माध्यमसे प्राप्त किये जा सकते है। (डॉ. आंबेडकर) 66) शेर के जैसे बनो तो तुम्हारे आडमें कोई नहीं आनेवाला। (डॉ. आंबेडकर) 67) अपने सच्चे प्रतिनिधि विधानसभा और संसदभवनमें भेजो। (डॉ. आंबेडकर) 68) खुदकी उन्नति खुदही करने के लिये अपनी कमर मजबुत बनानी चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 69) संघटना बनानेसेही राजकिय शक्ति प्राप्त होती है। (डॉ. आंबेडकर) 70) किसी भी समाजका भविष्य उस समाजके बुध्दिमान लोगोंपरही निर्भर होता है। (डॉ. आंबेडकर) 71) चिटी को शक्कर खिलानेवाले, किन्तु मनुष्योंको अन्न और जलके अभावसे मरने देनेवाले लोग ढोंगी, कपटी और महास्वार्थी होते है। (डॉ. आंबेडकर) 72) उच्च पढाई (शिक्षा) के बगैर बहुजन समाज राजकिय क्षेत्रमें प्रवेश करही नहीं सकते। (डॉ. आंबेडकर) 73) लोकतंत्रके दो ही दुश्मन है। एक हुकुमशाही और दुसरा इन्सानोंमे भेदभाव रखनेवाली नीती एवं संस्कृति। (डॉ. आंबेडकर) 74) चुनावके माध्यमसे प्रतिनिधित्व मिलाना यह एक साधन है। प्रतिनिधित्व साध्य नहीं। (डॉ. आंबेडकर) 75) साप-नेवला और चुहा बिल्लीकी दोस्ती कभी भी संभव नहीं है। (डॉ. आंबेडकर) 76) सदचरित्रता और सौजन्यशीलता अगर किसीके पास नहीं है तो शिक्षित मनुष्य हिंसक पशुसे भी क्रुर और महाभयंकर समझा जाना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 77) सच्चाईके संशोधनमें इन्सानको पुरी स्वाधिनता मिलनी चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 78) अपने अधिकार प्राप्त करने के लिये सभी बहुजनोंको पुरी तयारी करनी चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 79) अछूत समाजके हाथोमें राजकिय सुत्र होनाही चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 80) आर्थिक उन्नती यह छुवाछूत निर्मुलनका आधार है। (डॉ. आंबेडकर) 81) जागृतिका दिपक कभी भी बुझने मत दो। (डॉ. आंबेडकर) 82) सत्यमेव जयते यह घोषणा खोकली है। (डॉ. आंबेडकर) 83) सच्चाईको विजय कर देनेके लिये हमे अपना आंदोलन जारी रहने देना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 84) हमारी उन्नती के आडमें आनेवाले हर किसीका हमे निषेध करते रहना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 85) धनवानोंके धनपर किसी पक्षका कार्य यदि चलते रहा तो उस पक्षकी विशेषता नष्ट हो जायेगी। (डॉ. आंबेडकर) 86) देशकी वित्तिय लुट रोखनेके लिये राष्ट्रीय समाजवाद का मार्ग चुनना यही एकमात्र रास्ता है। (डॉ. आंबेडकर) 87) कांग्रेसने मोहनदास गांधीके अनशनके द्वारा पुना करारके माध्यमसे पुरा रस चुस लिया और केवल चोथा पीछडे समाजके मुहपर फेककर मारा। (डॉ. आंबेडकर) 88) राष्ट्रीय स्वयं सेवक के पास विचार और घटनाओंका विश्‍लेषन करके उसपर कृति करनेवाली यंत्रणा बहुतही मजबूत है। (डॉ. आंबेडकर) 89) राजकिय शक्ति या सत्ता यह एक बहुतही अजब और प्रभावकारी ताकछ एवं शस्त्र है। इस शस्त्रको हमे ईश्‍वर मानकर उसकी पूजा करनी चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 90) वर्तमानकालीन ज्ञानसत्ता की बड़ी बड़ी इमारते और उनमें रहनेवाले ज्ञानी इन्सान बहुजन समाज रहे या हो तो भी उनका शर और शरमेका भेजा यह केवल ब्राह्मणोंकाही है। (डॉ. आंबेडकर) 91) जिस शासन पध्दतीमें लोगोंकी खुनखराबी या हत्या एवं आगजलीके बगैर सामाजिक व्यवस्थामें उचित परिवर्तन लाया जाता है, वही शासनपध्दती लोकतंत्र या लोकशाही कहलाने योग्य है। पुणे करारके माध्यमसे स्थापित शासनपध्दती यह हुकुमशाहीका शुध्द स्वरुप है। क्योंकि यह शासनप्रणाली डॉ. आंबेडकरको खून की धमकी और पीछडे समाजकी हत्या और बस्तीको आग लगानेकी धमकीसे अंमलमे लाई गई थी और ब्रिटिश शासनद्वारा दिये गये पीछडे समाज के उन्नति के अधिकार छीने गये थे। (डॉ. आंबेडकर) 92) संसारके हरएक समाजका भविष्य उस समाजके शिक्षित लोगोंके कर्तव्यपर निर्भर रहता है। आज तक पीछडे समाजकी उन्नतिके लिये कोई विशेष सामुहिक आंदोलन नहीं हुए। इसका एकमात्र कारण पीछडे समाजमें संख्याके अनुपातमें पढे लिखे लोगही नहीं थे। शिक्षाके कारण व्यक्ति और समाजको दूरदृष्टी प्राप्त होती है। इस हेतुसे या दृष्टिसे यदि देखा गया तो पुरे भारतमें यदि कोई दूरदृष्टिवाला समाज है, तो वह केवल एकमात्र ब्राह्मण समाज है। इसे नकारा नहीं जाता। किन्तु ब्राह्मण समाजकीभी यह दूरदृष्टि केवल उसके समाजके सीमातकही मर्यादित होनेके कारण देशमें दु:ख, दरिद्रता, निरक्षरता, अनारोग्य, भूकबली, अन्याय, अत्याचार एवं सभी क्षेत्रोंमे विषमता फैजी हुई है। (डॉ. आंबेडकर) 93) लोगसभापर चुनकर जानेवाला लोग प्रतिनिधि यह लोगों का होता है, कि उस पक्षकार एवं पक्षके हायकमांडका? यह सवाल आजकी हालातमें गंभीर बन चुका है। चुनाव लडते समय लोग प्रतिनिधि यह लोगोंका होता है। किन्तु वह चुनाव जीतकर लोगसभामें जातेही, उस पक्षका और उस पक्षके हायकमांडका बन जाता है। परिणाम यह होता है, कि वह अपने पक्ष और हायकमांडके विरोधमें बोलता ही नहीं। अत: लोगोंको उससे कोई लाभ नहीं मिलता। (डॉ. आंबेडकर) 94) भटकी हुई और हमेशा ब्राह्मणवाद एवं पुंजीवादके शरणमें जानेवाली बहुजनोंकी राजनीती, यह बहुजनोंके लिये महाभयंकर और घातक है। (डॉ. आंबेडकर) 95) दलीत एवं पीछडे वर्गके लोगोंके रोगोंपर केवल राजकिय सत्तारुपी औषधी पर्याप्त नहीं है। उनकी बिमारी का इलाज सामाजिक उन्नतिसेही संभव है। पीछडे वर्गोने बुरी रुढी एवं परंपराओंको त्याग देना चाहिए। साथही उदरनिर्वाहके जो बुरे मार्ग है, उनकोभी छोड देना चाहिए। जीवनशैलीमे परिवर्तन लाकर उच्च स्तरकी जीवनशैली अपनानेसे अन्योंको आदरभावना एवं दोस्ती की इच्छा निर्माण होगी। केवल लिखना, पढना और शिक्षित बननाही पर्याप्त नहीं तो उच्च शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य है। (डॉ. आंबेडकर) 96) आपने अधिकार प्राप्ती के लिये हमे अधिक आक्रमक बननेकी आवश्यकता है। (डॉ. आंबेडकर) 97) भाग्य एवं भगवानके विश्‍वासपर रहनेके बजाय हमे हमारे बाहुबलके विश्‍वासपर निर्भर रहना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 98) स्वाभिमानशून्य जीवन बिताना यह पुरुषार्थहीनताके लक्षण है। (डॉ. आंबेडकर) 99) हमे हमारे अपमानका क्रोध आना चाहिए। (डॉ. आंबेडकर) 100) अन्यपर निर्भर रहना या विश्‍वास करनेकी भावनपा यह पेशवाईको निमंत्रण देने जैसा काम है। (डॉ. आंबेडकर) 101) ब्राह्मण समाज अपने दांवपेच बदलता है। किंतु वह अपना उद्देश नहीं बदलता। (डॉ. आंबेडकर) 102) इन्सानियत प्राप्त करना है, तो धर्मांतर करो। संघटना करना या बनाना है, तो धर्मांतर करो। समता और स्वतंत्रता प्राप्त करना हो तो धर्मांतर करो। संसार सुखी बनाना है तो भी धर्मांतर करो, जैसे की, जैन, सिख, बौध्द, शिवधर्म आदीने किया। (डॉ. आंबेडकर) 103) ’खीं’ी रश्रश्र ीळसहीं ची. झरींशश्र मैं आपकी ही बात संविधानमें डाल देता हुं। (डॉ. आंबेडकर) 104) मोहनदास गांधी यह भारतका सबसे बडा हिंसक इन्सान है। (एक अंग्रेज इतिहासकार) 105) जातियाँ इन्सानमें नहीं रहती, जानवरोंमें होती है। (राजर्षि शाहु महाराज और अ‍ॅड. गणपत अभ्यंकर) 106) कलम कसाई - म. फुले 107) मै कुछ लड़के विदेशको भेजना चाहता हुं। (डॉ. आंबेडकर) 108) पढोगे तो बचोगे ’’ खीं र्ूेी ीशरव र्ूेी ुळश्रश्र श्रर्ळींश’’ (डॉ. आंबेडकर) 109) यदि मैं पढ नहीं सका, तो बचुंगा कैसे? (डॉ. आंबेडकर) 110) लायब्ररीको यदि सील ठोका गया, तो मैं तुझे गोली मारकर उडा दुंगा। (डॉ. आंबेडकर) 111) इन पढे लिखे लोगोंने मुझे धोखा दिया है। मैं सोचता था कि, ये पढ लिखकर आगे जायेंगे, समाजको दिशा देंगे, मार्गदर्शन करेंगे। लेकिन ये तो अपने ही बालबच्चोंमे और बीबीका पेट पालनेमें मशगुल है। मेरे इर्दगीर्द क्लार्कोंकी भीड इकठ्ठा हुई है। इनमें मुझे कोई भविष्य नजर नहीं आता। 112) पुना करार हुआ तो मुझे सामनेके बिजलीके खंबेकों फांसी दो। किन्तु मैं पुना करारपर सही नहीं करुंगा।(डॉ. आंबेडकर) 113) भेडीयोंका नेता भेडीया होता है। हिरनोंका नेता उनकेही वर्गका काळविट होता है। तात्पर्य हरएक प्राणीका नेता उस उस जातिसेही संबंधित रहता है। अगर ऐसा है तो, बहुजनोंका नेता ब्राह्मण एवं बनीया कैसे? (राजर्षि शाहु महाराज) 114) जों समस्यायें पैदा करते हैं, वे समस्याओंका समाधान नहीं कर सकते। (वामन मेश्राम) 115) राष्ट्रव्यापी जनआंदोलन एवं जागृति बगैर कोई पर्याय नहीं है। (बामसेफ एवं मुलनिवासी संघ) 116) भारतके व्हायसराय लॉर्ड लीन लीथ.गो ने भारतके हिंदू, मुस्लिम एवं दलित नेता डॉ. आंबेडकरका क्रमश: तीन तीन लाख रुपीये दिये थे। हिंदुने उस से बनारस विश्‍व विद्यालय, मुस्लिमोंने अलिगढ विश्‍वविद्यालय बनवाया। किन्तु, डॉ. आंबेडकरने सोलह लडके विदेशमें शिक्षा ग्रहण करने के लिये व्यय किये। 117) डॉ. आंबेडकरने उसके नीजी ग्रंथालय के लिए स्वतंत्र कमरा बनाया था। उनके ग्रंथालयमें 32000 ग्रंथ थे और उन्होंने उनकी उमरमें 50,000 ग्रंथ पढे थे। 35000 ग्रंथोंका सुक्ष्म अध्ययन और 15000 ग्रंथोंका मालुमातके लिये पठन किया था। 118) पीछले 5000 सालमें केवल आंबेडकरनेही भारतसे उच्च, व्यावसायिक और विदेशी पढाई की थी। 33 कोटी देवोंने जो पीछले 5000 सालोमें नहीं किया था, वह डॉ. आंबेडकरने केवल 40 सालमें कर दिखाया। 119) हर परिवर्तनका मुल विचार परिवर्तन हैं। डॉ. आंबेडकर विचारोंकी दरिद्रता यह विश्‍वकी सबसे बडी दरिद्रता है। विचारोंमे जो आग होती है, वह अन्य किसी भी चीजमें नहीं होती है। विचार यह सबसे अधिक ज्वलनशील है। विचारोंमे परिवर्तन हुये बगैर अन्य कोई परिवर्तन नहीं होता। (डॉ. आंबेडकर) 120) संविधान अप्रांसगिक हो गया है। हमारी पूर्ति करने लायक नहीं रहा। इसलिये इसे बदल देना चाहिए। (अटल बिहारी वाजपेयी 8 फरवरी 1998 को लोकसभाके एक भाषणमें) 121) कांग्रेस यह जलता घर है। इस घरमें कभी ना रहना। (डॉ. बाबासाहब आंबेडकर) 122) अगर अंग्रज भारतको आजादी देते हैं और उस आजादीमें अछूतोंको अधिकार देते है, तो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए। (मो.गांधी) 123) अगर मुसलमान डॉ. आंबेडकरकी मांगोंका विरोध नहीं करते, तो मै चूप रहुंगा। (मो. गांधी) 124) मैं आपकी सारी मांगे मंजूर करने के लिये तयार हुं, मगर मेरी एक शर्त है, अगर आप डॉ. आंबेडकरका विरोध करे तो मैं आपकी सभी मांगोका समथर्र्न करने के लिये तयार हुं । (मो. गांधी) 125) अनपढ लोगोंको वोट का अधिकार मिलनेसे लोकतंत्रके लिये खतरा पैदा हो जायेगा। (पं. नेहरु) 126) गांधीजीने सरदार पटेल के साथ बहुत बडा धोखा किया। (गांधी के पुत्र राजमोहन गांधी) 127) अगर सरदार मुझे नहीं मिले होते तो, संभवत: मैं स्वतंत्रता संग्राममे सफल न होता। (मो.गांधी) 128) वोट देनेके अधिकारका संबंध है शासक बननेसे। 129) अगर आपके पास निर्णय लेनेका निर्णायक अधिकार नहीं हैख तो आपके पास सत्ता नहीं है। 130) 15 अगस्त 1947 के बाद ब्राह्मणोंका सारे देशमें एकछत्र राज हुआ। 131) हृदय परिवर्तनपर मेर बहुत विश्‍वास है। (मो. गांधी) 132) प्रथम जानो, और जाननेके बाद आपको सही लगे तो मानो। (तथागत बुध्द) 133) जो आदमी मानसिक रुपसे आजाद है, वे ही वास्तवमें आजाद होते है। 134) पराक्रमी लोग प्रार्थना नहीं करते। क्योंकी पराक्रमी लोगोंको अपने कर्मपर भरोसा रहता है। 135) ब्राह्मण धर्म, धर्म नहीं, बल्कि पीछडे वर्ग एवं समस्त मुलनिवासिओंको गुलाम बनानेका षडयंत्र है। 136) कीमत चुकाये बगैर समाज परिवर्तन संभव नहीं। 137) विचारोंमे परिवर्तन लानेका कार्य विचारसे करता है। 138) विचार परिवर्तन यही हर तरहके परिवर्तनका मूल है। 139) विचार समाजको गतिशील बनाता है। 140) विचारमें परिवर्तन (क्रांति) हुये बगैर आचरणमें परिवर्तन (क्रांति) नहीं हो सकती। 141) नेतृत्व यह बहुतही जिम्मेदारीपूर्ण कार्य है। 142) प्रस्थापितोंका सेवा प्रकल्प मुलनिवासी बहुजन समाजको गुलाम बनानेका एक कार्यक्रम है। 143) भ्रम यह एक बिमारी है। 144) समस्याओंकी मुल कारणोंकी जानकारीका अभावही अज्ञान है। 145) शहाण्या माणसाला मूर्ख बनविणारा ग्रंथ म्हणजे गीता ग्रंथ होय. (नेहरुला डॉ. आंबेडकरांचे उत्तर) 146) तुकडोजी महाराज हे राष्ट्रीय संत आहेत. ( 1949 राष्ट्रपती डॉ. राजेंद्र प्रसाद) 147) अस्पृश्यांच्या राजकिय मागण्याला म. गांधीनी कट्टर विरोध सुडात्मक भावनेने केला (डॉ. आंबेडकर) 148) हाती न घेत तलवार बुध्द राज्य करी जगावर (तुकडोजी) 149) माझे सौभाग्य तुमच्या हाती आहे. (कस्तुरबा गांधी) 150) माझा नवा जन्म होत आहे. (डॉ. आंबेडकर) 151) पुस्तकातील किडा म्हणजे डॉ. आंबेडकर (मित्रमंडळी) 152) प्रज्ञेशिवाय ज्ञान नाही. ज्ञानाशिवाय प्रज्ञा नाही. (डॉ. आंबेडकर) 153) गमावलेले हक्क भीक मागून मिळत नाही. ते प्राप्त करण्याकरिता तळहातावर शीर घेऊन लढावे लागते.(डॉ. आंबेडकर) 154) अज्ञानी माणुस हा एखाद्या बैलासारखा असतो. (धम्मपद ग्रंथ पान. न. 30) 155) राम गेले कृष्ण गेले, पांडवही त्याच वाटेने गेले. ऐसे गेले कोट्यानुकोटी, काय रडू एकासाठी. (संत गाडगेबाबा) 156) शिक्षण हा माणसाचा तिसरा डोळा आहे. (म.फुले समग्र वाङमय) 157) जयभीम (बाबु हरदास कामठी 1937) 158) ज्याचे झाले मन शुध्द, तोचि सांगे खरा बुध्द. (वामनदादा कर्डक) 159) जेथे समाज एकरुप आहे, तेथे बुध्दाचा स्तुप आहे. (वामनदादा कर्डक, मुंबई) 160) खरोखर महार लोकांचा मी ऋणी आहे. (डॉ. आंबेडकर) 161) शिक्षण हा समाज क्रांतीचा पाया आहे. (भाऊराव पाटील) 162) मन हे चांगल्या वाईट गोष्टीचे केंद्रबिंदु आहे. (आचार्य नागार्जून व कुमार लब्ध) 163) एक वेळ जगाला जिंकणे सोपे आहे. पण मनाला (चित्ताला) जिंकणे अवघड आहे. (बुध्द) 164) मला मायदेश नाही. ज्या देशात आम्हाला कुत्र्या मांजरापेक्षाही वाईट वागविले जाते तो माझा देश आणि माझा धर्म मी कसे म्हणू शकेन? (डॉ. आंबेडकर) 165) जो पक्ष आपल्या पक्षाच्या ध्येयधोरणाशी आणि विचाराशी, तसेच सामाजिक व राजकिय तत्वाशी जमवून घेणारा असेल, अशा पक्षाशी समझौता अगर युती करावी. (डॉ. आंबेडकर) 166) राजकारण म्हणजे केवळ सत्ताकारण नव्हे, तर ते लोकहितकारण आहे. (डॉ. आंबेडकर) 167) संपूर्ण भारत मी बौध्दमय करीन. (डॉ. आंबेडकर) 168) माझ्या इतका धर्माचा अभ्यास करणारा मी पाहु इच्छितो. (डॉ. आंबेडकर) 169) मनाचा विकास झाला पाहिजे. मन सुसंस्कृत झाले पाहिजे. माणसाचे शरीर जसे निरोगी पाहिजे, तसे शरीर सुदृढ होण्याबरोबर मनही सुसंस्कृत झाले पाहिजे. मनात उत्साह नसेल तर अभ्युदयही नाही. (डॉ. आंबेडकर) 170) हिंदू धर्म हा नष्ट धर्म आहे, आणि ज्या धर्माने आमचा नाश केला तो हिंदू धर्म त्यांचाही नाश करील. (डॉ. आंबेडकर) 171) माझ्या समाजाचा उध्दार करु शकलो नाही, तर विजेच्या खांबावर स्वत:ला लटकवून जीव देईन. (डॉ. आंबेडकर) 172) अस्पृश्यांची समस्या म्हणजे प्रचंड हिमालय आहे. या हिमालयाशी टकरा मारुन मी माझे डोके फोडून घेणार आहे. (डॉ. आंबेडकर) 173) परविया नारी रुखमाईसमान. (संत तुकाराम) 174) माझी आई इतकी सुंदर असती तर मी देखील सुंदर असतो. (छ. शिवाजी महाराज) 175) जे पंचांग भविष्य, मुहूर्त, वर्ग, गण, कुंडली पाहती त्याच्या बायका का विधवा होती। जे वास्तुशांती व सत्यनारायण करती; त्याच्या घरातील माणसे का मरती। माणसाचं मन, मनगट आणि मस्तकावर विश्‍वास हवा, देव-दैवतावर नव्हे. 176) जाळले गेलो तरी सोडले नाही तुुला। कापले गेलो तरी सोडले नाही तुला। भीमराया घे तुला या लेकरांची वंदना। भीमा घे पुन्हा जन्म, हीच आमची कामना। (कवी सुरेश भट) 177) यह आजादी झूटी है, देश की जनता भूकी है। (अण्णाभाऊ साठे) 178) मी इंग्रजांशी झगडून माझ्या लोकांसाठी (17 ऑगष्ट 1932 ला कम्यूनल अवार्डद्वारे ब्राह्मणांच्या स्वातंत्र्याअगोदर 15 वर्षे स्वातंत्र्य मिळविले होते) फळ आणले. पण गांधी व काँग्रेसने पुणे कराराच्या माध्यमातून त्याचा सारा रस चोखून घेतला व चोथा मात्र आमच्या लोकांच्या थोबाडावर फेकून मारला. (डॉ. भीमराव आंबेडकर) कम्युनल अवार्डद्वरे ब्रिटिशांनी 1932 च्या गोलमेज परिषदेत मागासांना आरक्षण, स्वतंत्र मतदार संघ, प्रौढ मतदार संघ, दोन मते देण्याचा अधिकार व लोकसंख्येच्या प्रमाणात प्रतिनिधित्व दिले होते. पण गांधीने उपोषणाच्यावेळी पाटना, कानपूर, वाराणसी येेथे मागासांच्या झोपड्यांना आग, खूनखराबी, महिलांवर अत्याचार करुन डॉ. आंबेडकरांना लाचार बनवून अधिकार हिसकावून घेतलेे. इंग्रजांनी डॉ. आंबेडकरांना बांधकाम खाते, विद्युत खाते, सिंचन खाते देऊन कायदेमंत्री बनविले होते. (स्वातंत्र्यानंतरही ते कायदेमंत्री होते)ेेे

G H Rathod

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